*Love You Forever*
दर्दे दिल का आलम
जो कभी तुम मोहब्बत करो तो पता चले
सिद्धत से किसी को चाहो तो पता चले
यूँ इश्क तो किया होगा तुमने भी कई दफा लेकिन कभी टूट के चाहो और बिखर जाओ तो पता चले।।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले
क्या याद है तुमको हमारी मोहब्बत का वो जमाना याद है क्या तुमको हमारी मोहब्बत का वो जमाना
वो सर्द रातों में रजाई में घुसकर मेरा तुमसे घंटों बतियाना
सर्द रातों में घुसकर रजाई में मेरा तुमसे घंटों बतियाना।।
अरे कितने झूठे थे तुम्हारे वो वादे तुम्हारे वो मैसेजेस।
अरे कितने झूठे थे तुम्हारे वो वादे तुम्हारे वो मैसेजेज।।
जो वो चैट पढ़ के आकर मुझसे नजरें मिला सको तो पता चले
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले
जो वो चैट पढ़ के आकर मुझसे नजरें मिला सको तो पता चले। जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
और जो लव यू फॉरएवर लिख दिया करती थी तुम हमेशा आखिर में
और जो हमेशा लव यू फॉरएवर लिख दिया करती थी तुम हमेशा आखिर में।।
फुरसत में आकर उस फॉरएवर शब्द के मायने मुझे समझा जाओ तो पता चले
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
खैर अब तो मेरे कॉल लॉग्स में भी कहां नजर आती हो तुम।
अब तो मेरे कॉल लॉग में भी कहां नजर आती हो तुम
वो सुबह 4:00 बजे तक चलने वाला फ़साना अब शायद रकीब को ही सुनाती हो तुम।
वो सुबह 4:00 बजे तक चलने वाला फ़साना अब शायद रकीब को ही सुनाती हो तुम।।
और बातें तो वो भी करता होगा बेहिसाब तुमसे
और बातें तो वो भी करता होगा बेहिसाब तुमसे।।
लेकिन कभी सर्द रात में फोन चार्ज में लगा कर खड़े खड़े तुम से बतिया सके तो पता चले।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
लेकिन कभी सर्द रात में फोन चार्ज में लगा के खड़े खड़े तुम से बतिया सके तो पता चले।
और जब भी तलब हो या तलाश हो मेरी तरह उसे भी तुम्हारी।
जी हां जो कभी तलब हो या तलाश हो मेरी तरह उसे भी तुम्हारी अगर
तो ब्लॉक होकर फेसबुक पर बार बार तुम्हारा नाम डालकर सर्च करता रहे तो पता चले।।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
खैर मैं जानता हूं कि वह भी नहीं देख पाता होगा तुम्हें जख्मी होते हुए।
खैर मैं जानता हूं कि वह भी नहीं देख पाता होगा तुम्हें जख्मी होते हुए।
अरे आखिर कोई कैसे देख ले तुम्हारे कोमल बदन पर चोट लगते हुए।
आखिर कोई कैसे देख ले तुम्हारे कोमल बदन पर चोट लगते हुए।
अरे यू मरहम तो वो भी बना हो तुम्हारे घावों पे
अरे यू मरहम तो वह भी बना होगा तुम्हारे घावों पर लेकिन कभी तुम्हारी उंगली कट जाने पर अपनी जीभ तले दबा सके तो पता चले।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।।
लेकिन कभी तुम्हारी उंगली कट जाने पर अपनी जीभ तले दबा सके तो पता चले
और जिंदगी तो उसने भी माना होगा तुम्हें
और जिंदगी तो उसने भी माना होगा तुम्हें।।
लेकिन कभी खुदा मान के इबादत कर सके तो पता चले।।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
खैर अब तो जाती हो तुम उसके संग दो जहानों में
खैर अब तो जाती हो तुम उसके संग दो जहानों में।।
घूमती हो उसका हाथ थामे शहर शहर ठिकानों में
घूमती हो उसका हाथ थामे शहर शहर ठिकानों में।।
लेकिन है हिम्मत तुममें अगर तो जहां किया था मुझसे उम्र साथ निभाने का वादा।
कभी उस वीराने हो आओ तो पता चले।।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
कभी उस वीराने हो आओ तो पता चले।
हमारी मोहब्बत को गुमनाम तो कर दिया है तुमने हर जगह से।
हमारी मोहब्बत को गुमनाम तो कर दिया है तुमने हर जगह से।
लेकिन वो दरख्त जहाँ पर गुदा है मेरा और नाम तुम्हारा। जाओ उसे बेनाम कर आओ तो पता चले
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
खैर अब तो उसके साथ कई रातें भी बताई होगी तुमने खैर अब तो उसके साथ कई रातें भी बिताई होगी तुमने।
सिरहाने उसके बैठकर वह कहानियां भी सुनाई होगी तुमने।
सिरहाने उसके बैठकर वो कहानियां भी सुनाई होगी तुमने।।
सुबह की चाय भी जो पीती हो उसके साथ अक्सर
और बची हो हलक में थोड़ी सी भी वफा अगर।
सुबह की चाय भी जो पीती हो उसके साथ अक्सर
और बची हो हलक में थोड़ी सी भी वफा अगर।।
तो वो जो मेरे मुंह लगी काफी जो मेरे साथ
बैठ कर पिया करती थी।
उस कॉफी का एक घूंट भी अपने गले से उतार कर दिखा सको तो पता चले।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले तो पता चले।।
और जो कभी तुम जानना चाहो कि गम ए तन्हाई क्या है।
और जो कभी तुम जानना चाहो कि गम ए तन्हाई क्या है।।
तो जिस कैफे में मैं जाता हूं अकेले।
जाके एक शाम बिता आओ तो पता चले
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।।
दर्दे दिल का आलम
जो कभी तुम मोहब्बत करो तो पता चले
सिद्धत से किसी को चाहो तो पता चले
यूँ इश्क तो किया होगा तुमने भी कई दफा लेकिन कभी टूट के चाहो और बिखर जाओ तो पता चले।।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले
क्या याद है तुमको हमारी मोहब्बत का वो जमाना याद है क्या तुमको हमारी मोहब्बत का वो जमाना
वो सर्द रातों में रजाई में घुसकर मेरा तुमसे घंटों बतियाना
सर्द रातों में घुसकर रजाई में मेरा तुमसे घंटों बतियाना।।
अरे कितने झूठे थे तुम्हारे वो वादे तुम्हारे वो मैसेजेस।
अरे कितने झूठे थे तुम्हारे वो वादे तुम्हारे वो मैसेजेज।।
जो वो चैट पढ़ के आकर मुझसे नजरें मिला सको तो पता चले
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले
जो वो चैट पढ़ के आकर मुझसे नजरें मिला सको तो पता चले। जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
और जो लव यू फॉरएवर लिख दिया करती थी तुम हमेशा आखिर में
और जो हमेशा लव यू फॉरएवर लिख दिया करती थी तुम हमेशा आखिर में।।
फुरसत में आकर उस फॉरएवर शब्द के मायने मुझे समझा जाओ तो पता चले
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
खैर अब तो मेरे कॉल लॉग्स में भी कहां नजर आती हो तुम।
अब तो मेरे कॉल लॉग में भी कहां नजर आती हो तुम
वो सुबह 4:00 बजे तक चलने वाला फ़साना अब शायद रकीब को ही सुनाती हो तुम।
वो सुबह 4:00 बजे तक चलने वाला फ़साना अब शायद रकीब को ही सुनाती हो तुम।।
और बातें तो वो भी करता होगा बेहिसाब तुमसे
और बातें तो वो भी करता होगा बेहिसाब तुमसे।।
लेकिन कभी सर्द रात में फोन चार्ज में लगा कर खड़े खड़े तुम से बतिया सके तो पता चले।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
लेकिन कभी सर्द रात में फोन चार्ज में लगा के खड़े खड़े तुम से बतिया सके तो पता चले।
और जब भी तलब हो या तलाश हो मेरी तरह उसे भी तुम्हारी।
जी हां जो कभी तलब हो या तलाश हो मेरी तरह उसे भी तुम्हारी अगर
तो ब्लॉक होकर फेसबुक पर बार बार तुम्हारा नाम डालकर सर्च करता रहे तो पता चले।।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
खैर मैं जानता हूं कि वह भी नहीं देख पाता होगा तुम्हें जख्मी होते हुए।
खैर मैं जानता हूं कि वह भी नहीं देख पाता होगा तुम्हें जख्मी होते हुए।
अरे आखिर कोई कैसे देख ले तुम्हारे कोमल बदन पर चोट लगते हुए।
आखिर कोई कैसे देख ले तुम्हारे कोमल बदन पर चोट लगते हुए।
अरे यू मरहम तो वो भी बना हो तुम्हारे घावों पे
अरे यू मरहम तो वह भी बना होगा तुम्हारे घावों पर लेकिन कभी तुम्हारी उंगली कट जाने पर अपनी जीभ तले दबा सके तो पता चले।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।।
लेकिन कभी तुम्हारी उंगली कट जाने पर अपनी जीभ तले दबा सके तो पता चले
और जिंदगी तो उसने भी माना होगा तुम्हें
और जिंदगी तो उसने भी माना होगा तुम्हें।।
लेकिन कभी खुदा मान के इबादत कर सके तो पता चले।।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
खैर अब तो जाती हो तुम उसके संग दो जहानों में
खैर अब तो जाती हो तुम उसके संग दो जहानों में।।
घूमती हो उसका हाथ थामे शहर शहर ठिकानों में
घूमती हो उसका हाथ थामे शहर शहर ठिकानों में।।
लेकिन है हिम्मत तुममें अगर तो जहां किया था मुझसे उम्र साथ निभाने का वादा।
कभी उस वीराने हो आओ तो पता चले।।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
कभी उस वीराने हो आओ तो पता चले।
हमारी मोहब्बत को गुमनाम तो कर दिया है तुमने हर जगह से।
हमारी मोहब्बत को गुमनाम तो कर दिया है तुमने हर जगह से।
लेकिन वो दरख्त जहाँ पर गुदा है मेरा और नाम तुम्हारा। जाओ उसे बेनाम कर आओ तो पता चले
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।
खैर अब तो उसके साथ कई रातें भी बताई होगी तुमने खैर अब तो उसके साथ कई रातें भी बिताई होगी तुमने।
सिरहाने उसके बैठकर वह कहानियां भी सुनाई होगी तुमने।
सिरहाने उसके बैठकर वो कहानियां भी सुनाई होगी तुमने।।
सुबह की चाय भी जो पीती हो उसके साथ अक्सर
और बची हो हलक में थोड़ी सी भी वफा अगर।
सुबह की चाय भी जो पीती हो उसके साथ अक्सर
और बची हो हलक में थोड़ी सी भी वफा अगर।।
तो वो जो मेरे मुंह लगी काफी जो मेरे साथ
बैठ कर पिया करती थी।
उस कॉफी का एक घूंट भी अपने गले से उतार कर दिखा सको तो पता चले।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले तो पता चले।।
और जो कभी तुम जानना चाहो कि गम ए तन्हाई क्या है।
और जो कभी तुम जानना चाहो कि गम ए तन्हाई क्या है।।
तो जिस कैफे में मैं जाता हूं अकेले।
जाके एक शाम बिता आओ तो पता चले
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।।
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले।।
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